रक्षाबंधन का अर्थ और महत्व :

रक्षाबंधन: प्यार, सुरक्षा और रिश्तों की डोरी का त्योहार

 

राखी सिर्फ एक धागा नहीं, एक भावना है।

यह त्योहार भाई-बहन के उस अनमोल रिश्ते का प्रतीक है, जिसमें प्यार, तकरार, और अपार स्नेह छुपा होता है। रक्षाबंधन का पर्व हमें याद दिलाता है कि परिवार के बंधन सिर्फ खून से नहीं, भावनाओं से भी बनते हैं।

देवशयनी एकादशी के व्रत के लाभ और महत्व के विषय में लेख :

 

 

देवशयनी एकादशी के व्रत के लाभ और महत्व के विषय में लेख :

 

 हरि शयनी एकादशी को देवशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास का प्रारंभ होता है।हिन्दू धर्म शास्त्र में देवशयनी एकादशी के व्रत के लाभ और महत्व का वर्णन करते हुए पद्म पुराण में बताया गया है कि इसका पुण्य ऐसा है कि चार मुखों वाले ब्रह्माजी भी इसके पुण्य का वर्णन नहीं कर सकते हैं।

 

 

 

 

एकादशी का व्रत और व्रत का  पारण कैसे करें ?

 


 

उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व : 

 

 

हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की 26 नवंबर की पूर्वाह्न 1 बजकर 1 मिनट से  शुरू हो चुकी है|  एकादशी तिथि 27 नवंबर की तड़के सुबह 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी | 

 

 

रक्षाबंधन का त्यौहार कब और कैसे मनाएं ?

 

 रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। जानते हैं कि इन्हें कैसे मनाया जाता है?

 

 

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है ?

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है ?



गणतंत्र दिवस हमारे देश का राष्‍ट्रीय पर्व है|  गणतंत्र दिवस के दिन ही भारत का संविधान लागू किया गया था |  26 जनवरी के दिन देश की राजधानी दिल्‍ली में कर्तव्‍यपथ पर परेड का आयोजन किया जाता है|  इस परेड में देश की तीनों सेना जैसे थलसेना, जलसेना और वायुसेना भी शामिल होती हैं| 

 

 

कब है सर्वपितृ अमावस्या ? सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या उपाय करना चाहिए की सुख समृद्धि बनी रहे ?

 

क्या इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगेगा ?

 

हिन्दू  पंचांग के अनुसार आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण  लग रहा है |  सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण रात 08.34 मिनट से अगले दिन प्रात: 02.25 मिनट तक रहेगा| किन्तु यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा और इसका सूतक काल भी मान्य नहीं रहेगा |