मृत्यु कालिक कथन का भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में बहुत ही महत्वपूर्ण धाराओं में से एक माना गया है। मृत्यु कालिक कथन की अवधारणा ये है ,कोई भी मरने वाला व्यक्ति मरते समय झूठ नही बोलता है। मृत्यु कालिक कथन एक ऐसा कथन है, जिसको अदालत में क्रॉस नही किया जा सकता है। ,यह एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जो मरने वाले व्यक्ति से सुनता है और अदालत में पेश करता है ,फिर भी अदालत द्वारा ये ग्राहय होती है। अधिनियम की धारा 32 में 8 ऐसी स्थिति की चर्चा की गई है, जिसमे साक्षी के अदालत में पेश नहीं होने पर भी उनको कथन को अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश किया जा सकता है , धारा 32 में वैसे लोगो के कथन