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क्या आजीवन कारावास आजीवन जेल की सजा न होकर 10-20 वर्षों का कारावास है?
आजीवन कारावास का शाब्दिक अर्थ तो यही होता है- जीवित रहने तक जेल की सजा. भारतीय दंड विधान के अनुसार न्यायाधीश जब भी आजीवन कारावास की सजा देते हैं इस बात का उल्लेख अवश्य करते हैं कि वास्तव में यह सजा कितनी वर्षों की होगी. सामान्य तौर पर 20 वर्षों की सजा को आजीवन कारावास मान लिया जाता है.
किन अपराधों के लिए हो सकती है आजीवन कारावास की सजा
अभी बात करते हैं आजीवन कारावास की सजा किन अपराधों के लिए दी जा सकती है. आजीवन कारावास की सजा गंभीर अपराधों एवं कुकृत्यों के लिए दिया जाता है जैसे- हत्या, गंभीर बाल यौन अपराध, बलात्कार, देशद्रोह, नशीली वस्तुओं का व्यापार, मानव तस्करी, गंभीर चोरी-डकैती आदि.
आजीवन कारावास का वास्तविक अर्थ एवं उच्चतम न्यायालय का स्पष्टीकरण
आजीवन कारावास की सजा को स्पष्ट करते हुए उच्चतम न्यायालय का कहना है- आजीवन कारावास की सजा पाए हुए दोषी की जब तक मृत्यु नहीं हो जाती उसे कारावास में रहना है. 14 या 20 वर्ष की सजा एक अलग प्रावधान है. इसे आजीवन कारावास की श्रेणी में रखना एक गलत धारणा है.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के. एस. राधाकृष्णन और मदन बी. लोकुर की पीठ ने कहा- ‘आजीवन कारावास की सजा पाए कैदी को आखिरी सांस तक जेल में रहना होता है, बशर्ते उसे उचित प्राधिकार वाली किसी सरकार ने की छूट नहीं दी हो.’
उचित प्राधिकार वाली सरकार से आशय है राज्य सरकार या केंद्र सरकार. दोषी का मामला जिस सरकार के अंतर्गत आता है उसके पास ये अधिकार होता है कि दोषी की सजा कम की जाए. परन्तु अंतिम निर्णय न्यायाधीश का ही होता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 55 और 57 में सरकार को दंडादेश में कमी करने का अधिकार दिया गया है। इस अधिनियम की धारा 55 कहती है, "हर मामले में, जिसमें आजीवन दंड दिया गया है, अपराधी की सलाह के बिना भी समुचित सरकार उस दंड को ऐसी अवधि के लिए, जो चौदह वर्ष से अधिक न हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास में लघुकृत कर सकेगी।"
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 433- दंडादेश के लघुकरण की शक्ति
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मृत्यु दंडादेश का भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) द्वारा उपबंधित किसी अन्य दंड के रूप में लघुकरण कर सकती है
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आजीवन कारावास के दण्डादेश का, चौदह वर्ष से अधिक अवधि के कारावास में या जुर्माने के रूप में लघुकरण कर सकती है
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कठिन कारावास के दण्डादेश का किसी ऐसी अवधि के सादा कारावास में जिसके लिए वह व्यक्ति दंड दिष्ट किया जा सकता है, या जुर्माने के रूप में लघुकरण कर सकती है
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सादा कारावास के दण्डादेश का जुर्माने के रूप में लघुकरण कर सकती है
जब दोषी को 14 या 20 वर्ष में कारावास से मुक्त किया जाता है
आजीवन कारावास पाए दोषी को जब 14 या 20 वर्षों में छूटते हुए देखा जाता है तो इसका मतलब ये होता है कि अपराधी को उचित प्राधिकार वाली सरकार की सिफारिश पर न्यायालय ने सजा में छूट दी है. इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं होता कि आजीवन कारावास की सजा 14 वर्ष या 20 वर्ष है.
सजा में रियायत के लिए जेल सुपरिटेंडेंट कैदी के अच्छे व्यवहार को देखते हुए न्यायालय से सिफारिश कर सकता है और न्यायाधीश दोषी की सजा को कम कर सकते हैं.
इस प्रकार यह धारणा गलत है कि आजीवन कारावास 14 या 20 वर्ष की सजा है. . उचित प्राधिकार वाली सरकार अथवा जेल सुपरिटेंडेंट सजा कम करने के लिए न्यायालय से सिफारिश कर सकते हैं.