इस वर्ष 2024 मे सरस्वती पूजा कब है ?
इस वर्ष 2024 मे सरस्वती पूजा कब है ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह घोषणा की है कि हर वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जायेगा । उन्होंने शहादत सप्ताह मनाने की भी बात कही है । पहला वीर बाल दिवस 26 दिसम्बर 2022 से मनाया जाने लगा। गुरु गोविन्द सिंह ने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्र का बलिदान कर दिया था। उनकी धर्म और न्याय की रक्षा के लिए दी गए शहादत की इस महान गाथा को देश की भावी पीढ़ी भी जाने और उनके जीवन से प्रेरणा ले सके इसलिए प्रधानमंत्र
अहोई अष्टमी की व्रत कब है ?
हिन्दू पंचांग के मुताबिक आश्विनमास की शरद पूर्णिमा के दूसरे दिन से ही कार्तिक महीने का आरम्भ हो जाता है | २०२२ में यह मास १० अक्टूबर से आरंभ हो रहा है और देवदीवाली अर्थात कार्तिक मास की पूर्णिमासी ८ नवंबर तक रहेगा | इस महीने कई व्रत और त्यौहार मनाये जाते हैं ,किन्तु खाश तौर पर महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी आयु की कामना से किया गया करवा चौथ की व्रत के प्रति महिलाओं में विशेष उत्साह पाया जाता है | सुहागन महिलायें भली भांति तैयार होकर यह व्रत और पूजा करती हैं |आज कल यह व्रत कुवारी लड़कियाँ द्वारा भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए रखा जाने लगा है | का
शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है| इस वर्ष 26 सितंबर दिन सोमवार से यह महापर्व आरम्भ हो रहा है | इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी की सवारी से धरती पर होगा | हाथी से माता के आगमन को बहुत ही शुभ माना जाता है ,यह सुख, समृद्धि और खुशहाली का संकेत होता है | नवरात्रि में मां दुर्गा 9 दिनों तक धरती पर ही रहती हैं| ऐसी मान्यता है की इन 9 दिनों में मां भक्तों के घर निवास करती हैं | ऐसे में घर का वातावरण और घर दोनों को भली भांति से शुद्ध करना बेहद जरूरी है| नवरात्रि से पहले मां दुर्गा के स्वागत के लिए भी साफ सफाई का खास
हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के देखरेख के लिए अवतरित होते हैं | ऐसे में पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करके उन्हें भोजन जल और दक्षिणा समर्पित किया जाता है |आमतौर पर यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हम हमारे पूर्वजों के कर्ज को चुकाने का एक प्रयास कर सकते हैं | हमारी आज की तरक्की हमारे पूर्वजों के नेक कार्य के कारण ही संभव होता है | हिन्दू धर्म के अनुसार आज हम जो कुछ भी हैं, वो हमारे पूर्वजों की बदौलत ही हैं| माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों से मिलने
गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है|पूर्व मान्यता के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था | इसलिए यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है | 10 दिन तक चलने वाला गणेश उत्सव उदया तिथि के आधार पर 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा| गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी हमारे देश में हर जगह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है | इस वर्ष की खास योग में पूजा करने का एक खास समय बताया गया है 31 अगस्त को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01